
मद्रास हाई कोर्ट की मदुराय बेंच (Madurai Bench) ने बुधवार को केंद्र और राज्य को एक जनहित याचिका पर नोटिस देने का आदेश दिया, जिसमें ऑनलाइन इंस्टेंट लोन ऐप पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता, मदुराय बेंच (Madurai Bench) के वकील एस मुथुकुमार (S. Muthukumar) ने शिकायत की कि आरबीआई द्वारा लोन ऐप्स को विनियमित नहीं किया गया था और कंपनियां अत्यधिक दरों पर ब्याज ले रही थीं। उन्होंने कहा कि लोन के भुगतान में देरी के लिए ऑनलाइन लोन देने वाली कंपनियों के कर्मचारियों के हाथों उत्पीड़त कई लोगों ने अपना जीवन समाप्त कर लिया। याचिकाकर्ता ने कहा कि जब भुगतान में चूक होती है, तो कंपनियों के कर्मचारी फ़ोन के माध्यम और कभी-कभी शारीरिक उत्पीड़न भी करते हैं। उन्होंने कहा कि डिफॉल्टरों की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर प्रसारित की जाएंगी।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करते हुए, अधिवक्ता ए कन्नन ने प्रस्तुत किया कि कई लोग इन ऑनलाइन ऋण प्रदाताओं के जाल में बहुत ही ज्यादा फस गए थे। उन्होंने बताया कि जिन ऑनलाइन एप्लिकेशन को आरबीआई से मंजूरी नहीं मिली है, वे Google Play Store जैसे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध थे।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और एस अनंथी ने देखा कि इस तरह की गतिविधियों को विनियमित किया जाना चाहिए और इसके लिए केंद्र और राज्य को नोटिस भेजकर प्रतिक्रिया मांगी गई। असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एल विक्टोरिया गोवरी और विशेष सरकारी वकील के.पी. कृष्णदास ने क्रमशः केंद्र और राज्य की ओर से नोटिस स्वीकार किए। मामले की सुनवाई 3 फरवरी तक के लिए टाल दिया गया।